बहाली की मांग:15 साल से नदारद डॉक्टर, जिन्हें कमी का हवाला दे बहाल किया था, उन्होंने लगाई छुट्टी की अर्जी; मांगी विदेश जाने की अनुमति
- बहाली का स्वागत करने वाले अफसर बताएं ये क्या है?
- हद यह है कि स्वास्थ्य मंत्री ऐसे किसी बहाली पत्र पर दस्तखत करने से ही इनकार कर रहे
15 साल से नदारद डॉ. इजहार मुंशी को 10 वर्ष का असाधारण अवकाश देकर अफसरों ने बहाल तो कर दिया, लेकिन उन्होंने ज्वॉइन होते ही फिर छुट्टी की दरख्वास्त लगा दी है। यहां तक कि पहली बार विदेश जाने की अनुमति भी मांगी है। मतलब साफ है कि डॉक्टरों की कमी का हवाला देकर की गई उनकी बहाली, रिटायरमेंट बेनिफिट और वरिष्ठता बरकरार रखने के लिए किए गए ड्रामे से अधिक कुछ नहीं है। भास्कर द्वारा बहाली को लेकर सवाल उठाए जाने पर एसीएस ने निर्णय का हार-फूल से स्वागत करने की बात कही थी, लेकिन अब कोई जवाब देने को तैयार नहीं है।
हद यह है कि स्वास्थ्य मंत्री ऐसे किसी बहाली पत्र पर दस्तखत करने से ही इनकार कर रहे हैं। प्रदेश के एसीएस हेल्थ मोहम्मद सुलेमान, स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम खाडे एवं अपर आयुक्त सपना लोवंशी, तीनों का तर्क है कि 15 साल बाद यह ज्वॉइनिंग, प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए दी गई थी। हालांकि एमबीबीएस डॉ. मुंशी को किसी अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए भेजने के बजाय लीगल सेल में डिप्टी डायरेक्टर बनाया गया है। इंदौर के ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ डॉ. अशोक डागरिया ने भास्कर के पास मौजूद जानकारी की पुष्टि करते हुए बताया कि डॉ. मुंशी ने ज्वॉइनिंग के बाद फिर से विदेश यात्रा और छुट्टी का आवेदन दिया है। हालांकि इसके पहले भी वे सालों तक जद्दा जाते रहे हैं, लेकिन पहले ऐसे किसी आवेदन और अनुमति या विभागीय जांच होने की जानकारी उनके पास नहीं है। इस आवेदन के बाद वरिष्ठ अफसर अब कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
- 10 वर्ष का अवकाश भी स्वीकृत किया
- 15 दिन बाद ही मांग ली छुट्टी
- 100 डॉक्टर अब भी कर रहे बाबूगीरी
कहां है डॉक्टर्स की कमी दफ्तरों में कर रहे बाबूगीरी
अफसर डॉक्टर्स की कमी का हवाला दे रहे हैं, जबकि 100 से ज्यादा डॉक्टर दफ्तरों में बाबूगीरी कर रहे हैं। इंदौर मेें मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक डागरिया ज्वाइंट डायरेक्टर हैं, रीजनल डायरेक्टर ऑफिस में डॉ. एचएन नायक, डॉ. स्मिता तिवारी पदस्थ हैं। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ वीरेंद्र राजगीर स्टोर और डॉ. एमपी शर्मा सीएचएमओ देवास ऑफिस संभाल रहे हैं। रीवा, ग्वालियर, कटनी, बड़वानी, जबलपुर मे भी 10 डॉक्टर प्रशासकीय पदों पर हैं।
मामला खुला तो कह रहे, करेंगे डीई
स्वास्थ्य विभाग ने नौकरी से सालों से लापता 162 डॉक्टर्स की सूची जारी की थी। मई 2022 में नोटिस जारी कर इन्हें 7 दिन में पक्ष रखने को कहा गया था। इस सूची में डॉ. मुंशी का नाम नहीं था। मामला सामने आने पर हेल्थ कमिश्नर पी. सुदाम खाडे, डॉ. मुंशी की जांच करने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है, 50 डॉक्टर्स को डीई के बाद बहाल करेंगे।
इधर, 29 साल से कर रहे संघर्ष
इंदौर के डॉ. मनोहर भंडारी कहते हैं कि वे 1993 से असाधारण अवकाश स्वीकृत करने की लड़ाई लड़ते-लड़ते रिटायर हो गए। हाल ही में एक डॉक्टर को तो 2 साल गायब रहने के बाद ही बर्खास्त कर दिया गया। ऐसे ही वीआरएस स्वीकृति के लिए सालों अदालती लड़ाई लड़ने वाले डॉ. एलके प्रजापति कहते हैं यह सरकार के लिए एक आत्मघाती आदेश है।
हो सकता है किसी ने रूटीन में साइन करा लिए हों
मुझे याद नहीं, मैंने ऐसे किसी (15 साल से गायब डॉक्टर को बिना डीई के ज्वॉइनिंग) आदेश पर हस्ताक्षर किए हों। रूटीन में हस्ताक्षर करा लिए गए हो तो कह नहीं सकता। आप कॉपी भेजें, पता करवाता हूं।
-डॉ. प्रभु राम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्र