नीति आयोग की रिपोर्ट:मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों की सच्ची तस्वीर; आलीराजपुर सबसे गरीब, झाबुआ दूसरा

दो परिवारों के हालत देख महसूस करें जिले के गरीबी स्तर को समझने की। ऐसे जिले में कई परिवार हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ता है। सरकारें 70 साल से दावे कर रही है लेकिन इनकी हकीकत जमीनी स्तर पर आने से ही पता चलती है। यह बात इसलिए की जा रही है कि नीति आयोग की रिपोर्ट में साफ हुआ है कि झाबुआ जिला प्रदेश का दूसरा सबसे गरीब जिला है।

नीति आयोग ने नेशनल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स जारी किया है। इसकी बेसलाइन रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे गरीब जिला पास का आलीराजपुर है। 2008 के पहले आलीराजपुर, झाबुआ जिले का हिस्सा था। दोनों आदिवासी बहुल जिले हैं।

बात इसलिए भी हो रही है कि इन दिनों आदिवासियों के उत्थान, विकास और उद्धार के कई दावे, कई वादे और कई योजनाओं की बात की जा रही है। लेकिन सच ये है कि किसी भी सरकार में आदिवासियों का भला नहीं हो सका। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी जिले की करीब 70 प्रतिशत आबादी गरीबी में जी रही है।

दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल
ये हैं बाथू पिता बदिया भूरिया। तालाब खरडू बड़ी में रहते हैं। बेटे की चाह में 8 बेटियां हो गईं। पत्नी रिशना दिव्यांग है। उन्हें 600 रुपए पेंशन मिलती है। पति दिहाड़ी मजदूर हैं और 200 रुपए प्रतिदिन मिलता है। गुजरात में ज्यादा मजदूरी है तो आधे समय वहां जाकर काम करते हैं। कच्चा टप्पर बनाकर परिवार के साथ रहते हैं।

सिर्फ पत्नी का खाता है, जिसमें पेंशन आती है। बीपीएल कार्ड वाले इस परिवार को सोसायटी से अनाज मिलता है तो सबका पेट भर जाता है। इसी गांव के कैलाश डामोर करीब के 4 बच्चे हैं। बीपीएल कार्ड के लिए तीन बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक नहीं बना। ड्रायवरी करके 6 हजार रुपए महीने तक कमा पाते हैं। एक पुराने सरकारी मकान की दीवार के सहारे कच्ची झोपड़ी बनाकर रहते हैं।

ये है चार राज्यों की रिपोर्ट

मध्यप्रदेश- यहां सबसे गरीब जिला आलीराजपुर है। 92 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी और 71.31 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। झाबुआ में आदिवासी आबादी 88 प्रतिशत से ज्यादा है और गरीब परिवार 86.68 प्रतिशत हैं। बड़वानी में ये आंकड़ा 69 प्रतिशत से ज्यादा और 61.60 प्रतिशत परिवार का है।

गुजरात- गुजरात का सबसे गरीब जिला डांग है। यहां 94 प्रतिशत के लगभग आबादी आदिवासी है। यहां 57.83 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। दूसरा सबसे गरीब जिला झाबुआ के पड़ोस में लगा दाहोद है। यहां भी आदिवासी 74 प्रतिशत से ज्यादा हैं और गरीब परिवार 55.05 प्रतिशत हैं। आलीराजपुर से कुछ दूर नर्मदा जिले में 81 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या और 37.1 प्रतिशत परिवार गरीबी है।

राजस्थान- झाबुआ जिले की सीमा से लगा बांसवाड़ा जिला प्रदेश में गरीबी में चाैथे नंबर पर है। यहां आदिवासी आबादी 76 प्रतिशत और गरीब परिवारों की संख्या 50.97 प्रतिशत है। प्रदेश में तीसरा सबसे गरीब जिला प्रतापगढ़ भी प्रदेश से लगा हुआ है। यहां 52.54 प्रतिशत परिवार गरीब हैं।

महाराष्ट्र- आलीराजपुर जिले की सीमा से लगा महाराष्ट्र का आदिवासी जिला है। नर्मदा पार के इस जिले में करीब 69 प्रतिशत आदिवासी हैं। यहां 52.12 प्रतिशत परिवार गरीब हैं। ये महाराष्ट्र का सबसे गरीब जिला है। गरीबी में अंतर इतना कि दूसरे नंबर पर आने वाले धुले में 33.23 प्रतिशत गरीब परिवार हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *